अंधेरे उजाले's image
101K

अंधेरे उजाले

अंधेरा यहां तो सवेरा कहीं, 

जो सवेरा यहां तो अंधेरा कहीं है।

नहीं एक सा हर जगह आसमां, 

हर कहीं एक जैसी जमीं भी नहीं है।।


यहां हर खुशी को भी गम की है ख्वाहिश,

ये ग़ज़लें, नज़्म भी सितम ढ़ूंढ़तै हैंं।

जो मंजिल को पाने की है राह दुर्गम,

तो क्यों रास्ते हम सुगम ढ़ूंढ़ते हैं।।


जो गावों में खेतों की हरियालियां हैं,

हरी सब्जियां, फूल, फल, बालियां हैं।

तो शहरों में ईंटो के जंगल सरीखे,

मुहल्लों में बदबूभरी नालियां है।।


Read More! Earn More! Learn More!