
सब कुछ नहीं किसी को मिलता, कुछ ना कुछ तो रह जाता है।
जितना होता है किस्मत में, उतना जीवन में पाता है।।
मिल भी गया सभी कुछ तो फिर, जीवन में क्या रह जाएगा।
किसके लिए जिएगा आखिर, कैसे समय बिता पाएगा।।
इसी अधूरेपन की चाहत, में कटता है जीवन सारा।
सब कुछ हासिल हो जाए तो, खाली बैठे नहीं गुजारा।।
किसकी आस करेगा कोई, किसके लिए करे कोशिश,श्रम।
बिना लक्ष्य के तो जीते जी, स्वयं पंगु
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