अबूझ अहसास's image

अन्तर में आत्म का अबूझ अहसास और,

बाहर  बहार, बरसात  बरजोर  है।

श्वास में सुगन्ध का, सरस संयोग शुभ,

चितवन मे चाहत की चाह चहुं ओर है।।

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कैसे कटेगी, ये कलुषित कालरात्रि,

मेघ महामारी के, मति मोहग्रस्त है।

जान है जहान जहां,जीवन में जोश नहीं,

तहां तारतम्य कहां, तन-मन त्रस्त है।।

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पावन पुनी

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