
संदर्भ : Write 40 Poems in 40 Days
-2-
अहसास
जब कभी
मैं बैठता हूँ
लिखने कोई गीत
तो देखता हूँ
कि जमीन पर फट रहे है गोले
और
नीली झील के ऊपर
आकाश में
खंजर लटक रहे हैं
पृथ्वी है कि
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-2-
अहसास
जब कभी
मैं बैठता हूँ
लिखने कोई गीत
तो देखता हूँ
कि जमीन पर फट रहे है गोले
और
नीली झील के ऊपर
आकाश में
खंजर लटक रहे हैं
पृथ्वी है कि