
(10.03.2025: Write 40 Poems in 40 Days)
-23-
*खाली भई दुकान*
लील गई चढ़ती नदी,
पका-पकाया धान,
भूख-प्यास की मार से टेढ़ा भया किसान।
धनिया को नहीं भात है
अब पीपल की छाँव,
पाँवों में पाजेब है, सिर पर तीर कमान।
ध
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*खाली भई दुकान*
लील गई चढ़ती नदी,
पका-पकाया धान,
भूख-प्यास की मार से टेढ़ा भया किसान।
धनिया को नहीं भात है
अब पीपल की छाँव,
पाँवों में पाजेब है, सिर पर तीर कमान।
ध