
तेजपाल सिंह ‘तेज’ : होली पर दो गीतिकाएं ; (1)छमिया ने क्या रंग जमाया होली में... (2) वासंती ॠतु हुई शराबी होली में...
-दो गीतकाएं-
-एक-
छमिया ने क्या रंग जमाया होली में,
रंगों का इक गाँव बसाया होली में।
आँखों से छुट रहे शराबी फव्वारे,
होंठों ने उन्माद जगाया होली में।
फँसती गई देह की मछली मतिमारी,
ज़ुल्फ़ों ने यूँ जाल बिछाया होली में।
सिर पे रखके पाँव निगोड़ी नाच रही,
इस तौर लाज का ताज गिराया होली में।
टेसू के रंगों का फागुन हुआ हवा,
कड़वाहट का रंग समाया होली में।
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