
चाँद की चाँदनी और तारों की रात में,
मैं निकल आया हूँ जुगनुओं की रात में।
बेअदब बेवकूफों जाहिलों की भीड़ ये,
चल रहे उसके पीछे ख़्वाहिशों की रात में।
मैं कहूँ जो ख़ूब है वो, यकता तुम मान लो,
या चाँदनी को देख लो वादियों की रात में।
पंख खोले ख्वाहिशें ओ' अधूरी गुंजाइशें,
अधूरे ख़्वाब भी आ मिले फ़ासलों की रात में।
अमीरों की फ़ौज भी ख़ैरात लेने जा रही
Read More! Earn More! Learn More!