गवाह गायब है मेरे और मुवक्किल गैर हाज़िर है
मुंसिफ रो रहा है देखकर खाली अदालत को
नाकाबिल हूँ मैं साज़िश में तो सीधे जुर्म करता हूँ
लगा रहता हूँ मैं बस ताक में अपनी कफालत को
मिला खुद्दार हो के क्या मुझे, न इल्म है मु
मुंसिफ रो रहा है देखकर खाली अदालत को
नाकाबिल हूँ मैं साज़िश में तो सीधे जुर्म करता हूँ
लगा रहता हूँ मैं बस ताक में अपनी कफालत को
मिला खुद्दार हो के क्या मुझे, न इल्म है मु
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