
आखिरी कविता आखिर कैसे लिख दूं
जब जीवन के आखिर तक लिखना चाहती हूं
मरण शय्या पर जब सिर पहुंचे
तब हाथ में अपने , बस , एक कलम चाहती हूं
उस दिन लिख डालूंगी जो भी मन की बात है
रुदन भरे माहौल में भी जब मेरा मन शांत है
न शोर सुनाई देगा मुझको , न कोई आहट आए
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