
कुछ थकी हुई थी आंख मेरी
मूंद स्वयं को वो रात हो गई ।
कुछ दूर ही चली और रुक गई
देखा तो मानो शाम हो गई ।।
कुछ देखा दिखाया सा दिख गया
देखकर उसे फ़िर शांत हो गई ।
बैठ गई वही पर ख़ुद
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कुछ थकी हुई थी आंख मेरी
मूंद स्वयं को वो रात हो गई ।
कुछ दूर ही चली और रुक गई
देखा तो मानो शाम हो गई ।।
कुछ देखा दिखाया सा दिख गया
देखकर उसे फ़िर शांत हो गई ।
बैठ गई वही पर ख़ुद