
हैं अभी विलग हम
पर मेरी इतनी बात तुम सुनना
कि बैठोगे जब कभी लिखने
तो मेरा नाम तुम लिखना
कि विलग होकर भी
मेरे लिए पैगाम तुम लिखना
कि मेरे भाव तुम लिखना
मेरे हर याद को शब्दों के छाव में रखना
कि अंतर बस मीलों की रखना
मन में हर रोज मुझे गढ़ना
हाँ मिले नहीं अब तक हम
ना एक दुजे का नाम ह
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