
है दिखावटी रंगों का जलसा होली पर,
असली रंगों को होली अब मोहताज़ हुई
सद्भाव, प्रेम की होली होती नहीं कहीं ,
हाँ, कृत्रिम रंगों की तो होली आज हुई ।।
सबने 'असत्य की हार' मनाई होली में ,
वो 'बुरी होलिका' आज जलाई होली में,
सबने छल, द्वेष, घृणा को काफ़ी बुरा कहा,
सबने भलमनसाहत दिखलाई होली में ।
पर नहीं आचरण में कुछ परिवर्तन आया ,
वो आदर्शों की बात सिर्फ़ अल्फाज़ हुई ।
है दिखावटी रंगों का जलसा होली पर ,
असली रंगों को होली अब मोहताज़ हुई ।।
है कई तरह के रंगों की भरमार यहाँ।
जैसे रंगों की चाह, वही तैयार यहाँ।
मिल जाते हैं बा
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