कर्मों के उपरांत, परोपकारी बनने, दान पुण्य को नियमित करने से ही मानव तन मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ जीव बना कर धरा पर भेजा है तो यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हमें इंसानियत का भाव रखते हुए सर्व जीव कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।
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