तुम बहुत खूबसूरत लगती हो जब करती हो सादगी का श्रृंगार, जब लेती हो स्थिरप्रग्य अवतार , और फिर जब बना लेती हो श्रुतियों को अलंकार सच में , तुम बहुत खूबसूरत लगती हो ये लगना कितना अज़ब है और होना कितना गजब है कभी कभार या ज़ार बार , जब करती हो असत्य का तिरस्कार सच ..... दे जाती हो भावनाएं हजार और फि
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