![कामुकता's image](/images/post_og.png)
दु:ख होता है , जब चीख दबानी पड़ती है
मन की अंतर ज्वाला से , अश्रु छुपानी पड़ती है
मैं क्या हूं ???
का संघर्ष अनवरत जारी जब तक रहता है,
निष्कामकता का पाठ , तभी तक याद वही तक रहता है,
उस बेचारे ने जो कि इतनी मेहनत से बागवानी थी,
सींचा था स्वेदों से, भावनाओं से
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