
अल्फ़ाज़, जज़्बात, इकरार जो भी
मोहब्बत का तसव्वुर था
सब कुछ लुटा दिया है तुझ पर
अब किसी और के लिए
कुछ बचा क्या!
वफ़ा ,दुआ, सिफा जो भी
मोहब्बत का आईना था
तुझे देख कर तोड़ दिया
अब किसी और कि सुरत
उसमें दिखेंगी क्या।
दिल ,दिमाग , ज़िगर जो भी
मोहब्बत के असर में था
तेरे बाद धड़कना छोड़ दिया
अब किसी और के लिए
मोहब्बत का तसव्वुर था
सब कुछ लुटा दिया है तुझ पर
अब किसी और के लिए
कुछ बचा क्या!
वफ़ा ,दुआ, सिफा जो भी
मोहब्बत का आईना था
तुझे देख कर तोड़ दिया
अब किसी और कि सुरत
उसमें दिखेंगी क्या।
दिल ,दिमाग , ज़िगर जो भी
मोहब्बत के असर में था
तेरे बाद धड़कना छोड़ दिया
अब किसी और के लिए
Read More! Earn More! Learn More!