
बेवफ़ाई वो बड़ी अलहदा होती है
जान से रूह जिसमें जुदा होती है,
रग-रग बिना ख़ून शर्मिंदा होती है
जान आदमी की जब मुर्दा होती है,
हश्र में नेकियां शायद काम आती हैं
धन-दौलत सब फिर बेहूदा होती है,
झूठी शोहरतें सब फिर ढह जाती है
जीते-जी जो उसे बिल्कुल ख़ुदा होती है
बिछड़ते ह
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