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अंतिम यात्रा

था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था.


था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था....


बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था


ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में


बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था.


बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था.


था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था....




था पास मेरा हर अपना उस वक़्त....


फिर भी मैं हर किसी से भुलाया जा रहा था...


जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से....


उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था...


था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था....


बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था




मालूम नही क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर....


मालूम नही क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर....


जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था...


था मैं नींद में मुझे बड़े जोर सोर से उठाया जा रहा थ

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