
अभी फिर भी बची है साँस शायद मुझ में , तभी लगता है इतना दम बाकी है,
कुछ फूंक दिया अपनों में, जो रह गया वो धुआं राख़ के लिए तब ही बाकी है
ये शिकायत नहीं की बहुत कुछ छूट गया तुमसे भागने में, अब याद आया,
माफ़ करना,मौत है!, कुछ
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