भर के मुट्ठी में सातों जहां को,
निकल पड़े आंखों मे
आजादी का ख्वाब लिए।
हंसते हुए मिटे वतन के नाम पर,
जुबां पर अपने नारा इंकलाब लिए।
थे इरादे मजबूत इतन
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भर के मुट्ठी में सातों जहां को,
निकल पड़े आंखों मे
आजादी का ख्वाब लिए।
हंसते हुए मिटे वतन के नाम पर,
जुबां पर अपने नारा इंकलाब लिए।
थे इरादे मजबूत इतन