
अपने मन की करता हूं
अब भी पहले जैसा हूं
उलझा हूं ख़ुद से जितना
उतना ख़ुद को समझा हूं
और सुनाओ कैसे हो!
मैं तो बिलकुल बढ़िया हूं
मुझसे इतना डरते हो!
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अपने मन की करता हूं
अब भी पहले जैसा हूं
उलझा हूं ख़ुद से जितना
उतना ख़ुद को समझा हूं
और सुनाओ कैसे हो!
मैं तो बिलकुल बढ़िया हूं
मुझसे इतना डरते हो!