
माता-पिता की छांव में।
रहती थी चार बेटियां एक गांव में।
कभी भारी नहीं हुई वो।।
चाहे कितना भी नुकसान किया हो।
फिर भी रही माता पिता के छांव में।
बड़ी खुशी और अरमानों से बेटी को दूसरे घर विदा किया था।
पलकों के छांव मिलेगा।
यही सोचकर बेटी दिया था।
तुम तो घाव देने लगे हो।
आजकल तुम किसी और को भाव देने लगे।
जिसके साथ सात जन्मों का वादा किया था।
तुम तो चार कदम चल कर ही लड़खड़ा दिए हो।
तुम सात जन्म क्या जियो गे।
वादे याद कर लिया करो।
शर्म हो तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो।
नहीं तो वह पल या
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