ओ मेरे रहबर लिख दिया है मैंने कलम से।
तू ही आखरी प्यास है।
तू मेरे दिल में जिंदा मोहब्बत का आखिरी चिराग है।
दो खूबसूरत लहजे बैठे हैं यहां पर।
बह रही दोनों के दिलों में जज्बात है।
रूह की एक अजीब सी प्यास है।
दिल मिलने को करता है।
मन कहता है कि ढहार कर परख तो ले की उस मोहब्बत में कितने रूहो की प्यास है।
जन्म तक टिकेगा भी वह कि ओ झूठी आस है।
पर दिल कहता है जीवन में वही एक आखिरी आस है।
नहीं तो उसके सिवा कोई नहीं जगा पाएगा मुझे खूबसूरत जस्बात है।
जन्मों का नाता है रूहो का।
यकीन मानो रहबर नहीं यह दो दिन की प्यास है।
ओ मेरे रहबर लिख दिया मैंन
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