
उम्र होती जा रही है इंतजार की।
कभी-कभी आ मिलो मुझसे।
मेरे दिल के दीवार के उस पार ही।
कम से कम आकर मिलो।
जिस्म को इंतजार भी।
रूह बेकरार भी।
नहीं मालूम।
इसे क्या चाहिए।
जिस्म को कुछ चाहिए नहीं।
इस रूह को पता नहीं किसका इंतजार है।
उम्र होती जा रही है इंतजार की।
हाथों में लगे वह ख्वाब की।
उम्र होती जा रही है इंतजार।
घड़ी दो घड़ी इसके अंदर।
जाने का जी चाहता अंदर।
जहां एक सुनसान है समंदर।
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