तेरी पहचान से डरती हूं मैं।
तेरा नाम सुनते ही रो पड़ती हो मैं।
जब तू मेरे पास आता है।
मेरा दिल फिर से जवा हो जाता है।
तेरा एहसास ही पुराने घावों को खुराच जाता है।
जब तेरा वह मासूम सा चेहरा याद आता है।
तेरे दिए इस नेकलेस में अब जंग लग गई है।
आंखें अब बूढ़ी हो गई है।
दिल तो जवां आज भी है।
पर जिस्म बूढ़ा हो गया है।
तेरे नेकलेस को अब झुर्री भरे गर्दन में ना पहन पाएगा।
तेरी पहचान से डरती हूं मैं।
तेरा नाम सुनते ही रो पड़ती हूं मैं।
यादों में कैद लिफाफा को।
करोड़ों बार पढ़ती हूं मैं।
खुद की तन्हाई से अकेले ही लड़ती हूं मैं।
खुद के जो जज़्बात है
उन्हें खुद को ही समझाया करती हूं। मैं
सब कुछ जान कर भी अंजान बनी रहती हूं। मैं
मैं कितनी भी दूर हूं
पर तेरी रूह में जिंदा रहती हू। मैं
यही सोच सोच कर घ
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