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मन व्यथित है...

मन व्यथित है बड़ा कुछ ना कह पा रहा

ना सो पा रहा है ना जग पा रहा

याचना की है इतनी प्रतिक्षा कहाँ

तुम ना आ पा रही ना मैं जा पा रहा ॥


इस अधूरे से मन से हंसेंगे कहाँ

तुम मुझे यह बताओ कि रोये कहाँ 

कभी हम जो गिरते तो तुम पास थे

ठोकरें इतनी आयी है जाये कहाँ 


जिन्दगी का सफर ना वो अन्तिम हुआ

सांस जाती रही हम मनन में रहे

आस अन्तिम हमारी जो टूटी कभी

अश्रु जाते समय

Tag: Love और1 अन्य
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