तुम चुनाव में सामने आते हो
गरीब के घर जाकर खाते हो
ये जनता तुम्हें जिताती है,
तुम ख्वाब नये दिखलाते हो....
कोरे कागज सी ये जनता
तुम नये कलम की स्याही हो
जनता बिलख बिलख कर रोये
जैसे काली बदली छायी हो
ये सरकार तुम्हारी है
तुम ही इसके राजा हो
पांच साल में नहीं दीखते
देते केवल झासा हो
एक मदत ना कर पाओ
सो जाओ चद्दर तान के
दूध दही और घी मलाई
खाओ सब कुछ छान के
जनता के हो सेवक तुम
इसका तुमको भान नहीं
वोट दिया जो आशा से
उसका भी सम्मान नहीं
तुम जो इतना इठलाते हो
सबको रौब दिखाते हो
टैक्स के पैसा पर ही तुम
इतनी सुविधा पाते हो
चप्पल टूटी पहन के तुम
वोट मांगने आते हो
जीत गये जो गलती से
शूट बूट सिल
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