मैं सूर्यवंशी , मैं आर्यश्रेष्ठ , मैं ही भारत का अभिमान भी हूं।
मैं वासुदेव मैं नरसिंह , मैं ही मत्स्य अवतार भी हूं
मैं ही गोपाल , मैं ही कृष्ण , मैं ही कौशल्या का लाल भी हूं
मैं ही प्रेम , मैं ही विरह , मैं ही मुरली की तान भी हूं।
मैं ही सत्य, मैं ही शास्त्र, मैं ही उद्धव का ब्रह्मज्ञान भी हूं
मैं ही पवन , मैं ही अनल, मैं ही पंचतत्वों का आधार भी हूं
मैं ही गीत,मैं ही संगीत, मैं ही सुरों का गान भी हूं<
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