निर्वाण's image

अब हो ऊंची चेतना का जागर
हम क्यों पीछे रहें स्वयं को उठाने में
अब हम शिक्षित हो स्वयं को जानने में l

सैंकड़ों प्रश्न उठे है
त्रिकाल चल रहें विचारों से विचलित होती भावनाओं में
अब समय न रहा उनमे उलझने में

अब हम उठे और प्रयास करें उन्हें सुलझाने में
सशक्त करें हम अपने आत्मज्ञान की ज्योत को
न जाने हम कबसे लिप्त रहें
व्यर्थ के अंधकार में

झूठी आशाओं का दामन छोड़
अब चल पड़े हम सत्य के मार्ग में
होगा संघर्ष थोड़ा सा किंतु विश्वास है हमे अपने समर्पण के भाव में l

अगुवाई करें हम एक नए समाज की रचना में

Tag: pirituality और4 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!