
हम निकले हैं मुद्दतों बाद उनके ख़्वाब से,
जुगनू मिलके आ गया है जलते चराग़ से,
भीड़ में जाने को बेताब है मेरी तन्
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हम निकले हैं मुद्दतों बाद उनके ख़्वाब से,
जुगनू मिलके आ गया है जलते चराग़ से,
भीड़ में जाने को बेताब है मेरी तन्