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तकदीर खुद लिखने बैठे

कौन है क्या दिखे मुश्किल है यह कहना
हर एक चेहरे ने एक चेहरा लगा रखा है
 
पहचान मुश्किल हुई मोबाइल का युग है
सीसीटीवी युग है हर चेहरे पर मुखोटा है

हरएक जो सीसीटीवी की जद में खड़ा है
शागिर्द है या चश्मदीद है राज यह राज है

हाथ मे जो है मोबाइल लिए आप खड़े है 
वह मोबाइल नही करतूतों का आईना है

हिसाब खुदा नही रखता अब गुनाहो का
आज सब कुछ रिकॉर्ड होता हथेलियो में

हमराज बना हुआ आपकी राजदारी का
आप जिसे अपना राजदार ही समझ बैठे 

अब बाजुओं का जोर बखत नही रखता
लड़ नही बैठना लड़ने की रीत बदल गई

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