दिन की भागमभाग अपना होश कहाँ
गिरते पड़ते घर जाते बचती जान कहाँ
दरवाज़ा खुलते सामने जो आन खड़ी
स्वर्ग से उतरी परी वह है बिटिया खड़ी
उस एक मुस्कराहट ने क्या कर दिया
मृतवत जान में नवजीवन संचार किया
बढक़र गले लगाना में कैसे रोक पाता
जिगर का टुकड़ा जीवन का आधार था
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