सफलता मिली दर्द के संग's image
102K

सफलता मिली दर्द के संग


वर्षो की चाह थी जो स्वप्न पल्लवित करती
स्वप्न साकार हुआ तो महारानी बिलख रही

सफलता मिली तो संग दर्द का सागर लिए
क्या परिणति हुई धिक्कार जीवन लग रहा

श्रीकृष्ण का सानिध्य पाकर बिलखती रही
ये नही चाहा था कान्हा कैसी परिणति रही

वैधव्य का क्रंदन अनाथ कई बाल हुए यहां
धिक्कार यह जीवन क्या ये हमारी चाह थी

रक्तरंजित सत्ता की तो कभी चाह नही की
सांत्वना देते श्रीकृष्ण नियति सदा क्रूर रही
Read More! Earn More! Learn More!