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परमात्म की सता



बीज की ताकत धरती पाटने में सक्षम है
खुली आँखों निहारा बीज में वॄक्ष किधर है

बीज में वृक्ष की सत्ता ब्रह्म में कई जगत है
चिन्मात्र परमात्मा अणु के अणु में छिपा है

जीवो की अन्तरात्मा में रहता वह एक है 
अन्तःकरण में ये नाना रूपो में दृष्टिगत है

मन ज्ञानेद्रियों से अगम्य शून्य आकाश है
परमात्म सता के अधीन स्फुरित होता है

देशकाल परे अजन्मा अद्वितीय निर्द्वंद है
मायातीत है जिसमे जगत की प्रतीति है

वो स्वतः सिद
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