
ऋषि उद्दालक कर रहे मोहमाया त्याग
आया समय ब्राह्मणों को देना था दान
कर संकल्प प्रारंभ किया सर्वमेध यज्ञ
यज्ञ समाप्ति पर कर दिया सर्वस्व दान
दस वर्षीय पुत्र के लिए जागा पुत्रमोह
अच्छी गाये रख अदुग्धा वृद्ध देदी दान
नचिकेता ने देखा व्यर्थ जाता यज्ञफल
प्रण है पिता को बचाए न हो यह पाप
नचिकेता बोला किसे करेंगे मेरा दान
नचिकेता का प्रश्न टालते रहे ऋषिवर
तीसरी बार पूछा ऋषि बोले क्रोधवश
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