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Poetry
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मन सात आसमां पार
suresh kumar gupta
April 19, 2023
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नया नया जोड़ा है नई सुलह नया प्यार
और इन्तजार गूंजे आंगन में किलकार
मुंह बाए खड़ी महंगाई या काम की मार
किसे खबर रहे होता नया नया खुमार
विसर्जन मिलन सर्जन सृष्टि का क्रम है
कौन छेद पाता है लम्हा तो आ जाता है
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