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खतरे की घंटी

विकास की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे।
प्रकृति का दोहन अपव्यय कर रहे।
धरती पर एक ही जीवनदाता जल।
खेलते रहे जल से क्या होगा कल।

नहर खेत पर नहाते बीता बचपन।
हरियाली बारिश खुशहाल जीवन।
पूल टब में बर्बाद करते जाते जल।
खेलते रहे जल से क्या होगा कल।

गर्मी बढ़ती जल की हुई क़िल्लत।
जल समाधान एक करते संरक्षण।
मुहाने पर आ खड़े है जल-संकट।
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