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जीवन है बहता पानी


महा शिव रात्रि के पर्व पर हुई भंग की तैयारी
भक्त जन थे बेताब सभी धर्म मे रंग जाने को

चक के पी सबने ही देख देख सब दंग हो रहे
धर्म भीरु रह गए कोरे नशे को पाप मान बैठे

बहुत समझाया उनको मिलता शिव प्रसाद है
शिव कृपा हुई भारी फिर भी चुक गए अनाड़ी

भंग के नशे में हंसे किसी की थी रोने की बारी
अपना रंग दिखाए धर्म मे थी उधम की तैयारी

नशे में झूमें भक्त सारे माहौल भक्तिमय भारी 
भंग की तरंग असर बताए उधम करे नर नारी 
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