
हे मेरे दोस्त कब हम करीब होंगे
अपनी दुनिया होगी मिल बैठेंगे
न लेने की न देने की चाह होगी
पर एक दूजे पर हक जमा बैठेंगे
जब अकेलापन काटने दौडेगा
जीवन मे जब जब अकेले होंगे
ऐसे पलो में यह ख्वाहिश होगी
हे दोस्त करीब में ही बैठा होगा
तेरे सामने तो दिल खोल बैठेंगे
कंधे पर सिर रखकर भी रो लेंगे
डांट सकेंगे जब तब लड़ पड़ेंगे
जब चाहे तुझको कॉल कर लेंगे
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