भरत विलाप's image
हरकारे आन पहुंचे अयोध्या को चले तत्काल
हर्षोंल्लास था मन मे पहुंच गए मां के प्रासाद

पितृमरण जान बिलख पड़े बोले कहां है राम 
माता कहे मैंने बात संभाली राम गए वनवास

अब अयोध्या तुम्हारी तुम बन जाओ महाराज
संभालो अयोध्या तुम भोगो निष्कण्टक राज 

मां तूने अनिष्ट किया दे दिया राम को वनवास
छीना भाई का साथ पिता गए हुआ मैं अनाथ

वह तेरा बेटा था आज तूने जीतेजी मार दिया
माता तू कुमाता किस जन्म का बदला लिया

कैसे मुंह दिखलाऊँ कैसे तेरी मति गई मारी
सब सहारे छीन तुने मुख पर कालिख डाली

कुल कलंकिनी तू हुई मेरे सर हुआ यह पाप
जाऊं राम माता के पास शायद कर दे माफ

आये कौशल्या प्रासाद में पकड मां के पांव
कहते माँ क्या हुआ रो रोकर हुआ बुरा हाल 

सपने में भी चाह नही मैं नही चाहूं राजपाट
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