बंद किताबे बतियाएं (विश्व पुस्तक दिवस)'s image
134K

बंद किताबे बतियाएं (विश्व पुस्तक दिवस)


सखी यह हम किस युग मे है आए
लाइब्रेरी में बंद ये किताबे बतियाएं
करीने से सजे हुए बरसो से बैठे है
हम यहां किसलिए कैद हुए बैठे है

पहले चहल पहल रोज उत्सव थे
आज चाहनेवालो का इंतज़ार करे
वाचक रोज सवेरे मेजो पर सजते
हमे छांट अलमारी से मेज भर देते

सब अपने शौक प्यार से हमे लेते
लेते एक बाकी किताब बिखेर देते
सब बिखेर जाते शिकवे वर्कर के
हमे शिकायत रोज परेशान करते

जो नही बैठते इ

Read More! Earn More! Learn More!