![बहिष्कार की डोर's image](/images/post_og.png)
सर्वस्व दान में स्वार्थ रह गया
वाजश्रवा का अहं जाग उठा
गायें मेरी सर्वोपरि इच्छा मेरी
जो ठीक लगे मैं दान करूँगा
जो मेरे अहम पर चोट करेगा
मेरे धर्म पर चोट कर जाएगा
बोल बोल तेरी इतनी हिम्मत
क्या तू मुझे धर्म सीखाएगा
नचिकेता शांत नही बैठ सका
बोल उठा मैं भी हूं पुत्र तुम्हारा
सर्वस्व याग का संकल्प किया
किसको मेरा तुम दान करोगे
हमारा कर्म है धर्म रक्षण करे
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