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आरती की बारी तुम्हारी है


सवाल सवाल ये सवालों का सिलसिला है
उत्तर ढंढते रहते बाबू उत्तर यहां नदारद है
घूमते जिन वादियो में बसंत की बहार थी 
आहिस्ता ऋतू बदली पतझड़ की मार थी 

सत्ता चारण रखती आज जनता चारण है  
आज जो माहौल है जहां कसीदे जवाब है
ढूंढते सवालों को उनकी लंबी फेहरिस्त है
पुलवामा की दास्तान या देवेंद्र की चाल है 

तेरह के घोटालों का सच उजागर न हुआ
स्विस बैंक का फंड सुरसा सा बढ़ता गया
एक मोड़ आया सफर में डगर बदल गयी
सब कसीदे पढते अब घोटाला कब हुआ

करते सवाल कहते सवालों पे मिट्टी डालो
इकॉनमी का सरगना देश से भ
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