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पीछे मुड़ के मत देख

पीछे मुड़ के मत देख
वहां तुझे जाना नहीं 
कदम बढ़ा और आगे चल
तेरी मंजिल है आगे कहीं

माना के कुछ निरासे के गर्द हैं
जो आशा के उपर जम गईं हैं
जले हुए सपनों के राख तले
कुछ तमन्नाएं दब गईं हैं

उत्साह के फूंक से
उस राख को तू उड़ा दे
सो गए हैं जो ख्वाब
उनको फिर से जगा दे 

कुछ आरजुएं पिघल के
आंखों से बह के
गालों पे जम गईं हैं
आंखों ने सी
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