मौत को नग्न नाचते देखा
आदमी दूर भागते देखा
देखा है जलते औरों को उम्र भर
आज उसे ख़ुद को, ताक़ते देखा
लाद कर ख़ुद को सोने-चाँदी से
फफककर भीख माँगते देखा
ज़िन्दगी को
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मौत को नग्न नाचते देखा
आदमी दूर भागते देखा
देखा है जलते औरों को उम्र भर
आज उसे ख़ुद को, ताक़ते देखा
लाद कर ख़ुद को सोने-चाँदी से
फफककर भीख माँगते देखा
ज़िन्दगी को