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मस्त मौला मेरा मन

मै मस्त हवा के झोको सा,
मनमौजी सी फितरत छोड़कर...
एक नए सफर पर बढ़ चला..
जीवन की अप्रतिम ड़गर पर,
न जाने क्या अब कर चला..
एक और कदम बढ़ गया हूं..
वक्त के असर सा चढ़ गया हूं
कुछ नया सबक अब पढ़ने लगा,
इस सफर का असर अब पड़ने लगा...
एक सवाल हर रोज उठा,
की कितना मै हूं कर सकता..
कुछ कुछ अब होने लगा है,

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