![चाँद 's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40simran-bhagtani/None/1651728995262_05-05-2022_11-07-03-AM.png)
ये चाँद देखा है तुमने कभी?
कभी इसकी ख़ामोशी सुनी है?
अग़र सुन सको तो सुनना
तुम्हें मेरी वफ़ा के किस्से सुनाएगा
बताएगा कि कितनी अकेली रही हूँ मैं तुम्हारे बिना
तुमसे मेरी ही तरह हँस बोलकर बात भी कर लेगा
जैसे मैं सुकुन हुआ करती थी तुम्हारी रूह का
ये राहत बन जाएगा तुम्हारे ज़ख्मों पर
चाँद देखा है तुमने कभी?
उसकी ख़ामोशी ख़ामोश होकर भी
बहुत कुछ कह जाती है
कभी मुझे मुझ-सा लगता है