सच ये भी कोई नहीं किसी का
सब कहीं ना कहीं बस खुद के है
अपने आप में मशरूफ हर कोई
यहां सबका अलग जमाना है
प्यार लगाव अपनापन
ये सब कुछ देर के ही तो मुद्दे है
समय से फल फूल भी पक जाते है
मौसम का दस्तूर है बदलना
कर्म है बादलों का चलना
टाइम का तो बस बहाना है
गलत कहना भी गलत है
क्योंकि एक की ह
सब कहीं ना कहीं बस खुद के है
अपने आप में मशरूफ हर कोई
यहां सबका अलग जमाना है
प्यार लगाव अपनापन
ये सब कुछ देर के ही तो मुद्दे है
समय से फल फूल भी पक जाते है
मौसम का दस्तूर है बदलना
कर्म है बादलों का चलना
टाइम का तो बस बहाना है
गलत कहना भी गलत है
क्योंकि एक की ह
Read More! Earn More! Learn More!