Religious Harmony Poem's image

लड़ते हुए इंसानों को इंसान से

देख ज़िगर अफ़गार होता हूं मैं

मिटा रहे मानवता की पहचान ये

हर रात यही सोच रोता हूं मैं।


क्या जात मेरी क्या औकात तेरी

इस तू मैं क

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