
मुझसे मिलते हैं हजार
नसीहत देते हैं हजार,
पर करता हूं अपने दिल की
यह दुनिया “मतलब का बाजार”।
दूसरों की ख्वाहिशों को कुचल
अपनी ख्वाहिशों को बेचते,
कदर नहीं किसी के अरमानों की
यहां सिर्फ “जज्बातों का कारोबार”।
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मुझसे मिलते हैं हजार
नसीहत देते हैं हजार,
पर करता हूं अपने दिल की
यह दुनिया “मतलब का बाजार”।
दूसरों की ख्वाहिशों को कुचल
अपनी ख्वाहिशों को बेचते,
कदर नहीं किसी के अरमानों की
यहां सिर्फ “जज्बातों का कारोबार”।